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Chhath Puja 2021 Date कब है? महापर्व छठ व्रत की विशेषताएं | छठ व्रत की पूजा विधि हिंदी में

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HowToSawal.Com के सभी पाठकों को सबसे पहले छठ महापर्व की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं। आज के इस विशेष लेख में हम छठ महापर्व के बारे में जानेंगे, और यह स्पष्ट करेंगे कि छठ महापर्व 2021 (Chhath Puja 2021 Date) कब है? छठ महापर्व में किस भगवान की पूजा की जाती है? छठ महापर्व कितने दिनों तक होता है? तथा छठ महापर्व की क्या विशेषता है?

महापर्व छठ व्रत की विशेषताएं | छठ व्रत की पूजा विधि | छठ पूजा कब है? | छठ पूजा कहां - कहां मनाया जाता है?।



छठ महापर्व 2021 कब है? Chhath Puja 2021 Date - 2021 Chhath Puja Kab Hai

लोक आस्था का महापर्व छठ चार दिनों तक चलने वाला एक कठिन पर्व है। जिसमें व्रती भूखे प्यासे भगवान सूर्य की आराधना करती हैं। वैसे तो दिवाली के अगले दिन से ही व्रत करने वाले पुरुष/महिला इस पर्व की सभी परंपराओं का पालन करना शुरू कर देते हैं। परंतु मुख्य रूप से इस पर्व की शुरुआत दिवाली के ठीक चौथे दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है, तथा कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक चलती है। अर्थात छठ महापर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार छठ महापर्व 2021 की शुरुआत 8 नवंबर (सोमवार) तथा इसका समापन 11 नवंबर (गुरुवार) को हैं।


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कार्तिक शुक्ल चतुर्थी

दिवाली के ठीक चौथे दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से छठ महापर्व की शुरुआत हो जाती है। आमतौर पर इस दिन को नहाय खाय और कद्दू भात कहा जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ कद्दू भात बनाया जाता है। और पूरे परिवार के साथ इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस दिन प्रसाद के रूप में बने कद्दू भात का स्वाद इतना अनोखा और स्वादिष्ट होता है कि इसका वर्णन इस लेख के माध्यम से नहीं किया जा सकता। छठ महापर्व स्वच्छता को प्रेरित करती है। इस दिन घर के प्रत्येक सदस्य को सुबह उठकर स्नान करने के बाद ही भोजन ग्रहण करने की अनुमति दी जाती है। इसलिए इस दिन को नहाय खाय के रूप में भी जाना जाता है। छठ करने वाले व्रतधारी इस दिन अपने निकटतम गंगा घाट में स्नान कर गंगा जल से ही भोजन बनाते हैं। 

कार्तिक शुक्ल पंचमी

नहाय-खाय या कद्दू भात के ठीक अगले दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को 'खरना' के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले पुरुष/महिला भूखे प्यासे मिट्टी या ईंट से बने चूल्हे में अपनी अपनी मान्यताओं के अनुसार भात/खीर/रसिया या रोटी बनाते हैं तथा रात्रि में पूरे परिवार के साथ इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इस प्रसाद को ग्रहण करने के लिए दूर-दूर से संगे संबंधी आते हैं।


कार्तिक शुक्ल षष्ठी

खरना के ठीक अगले दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को आमतौर पर पहली अर्घ्य के रुप में जाना जाता है। यह छठ महापर्व का सबसे विशेष दिन है। इस दिन व्रतधारी निर्जला उपवास रख सुबह से ही अर्घ्य की तैयारी में व्यस्त रहती है। इस दिन भगवान सूर्य को प्रसाद के रूप में चढ़ाने के लिए विशेष प्रकार का ठेकुआ (खबौनी), चौरठ का लड्डू बनाया जाता है। भगवान सूर्य को प्रसाद के रूप में चढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के फलों को (जिसमें केला, सेब, नारियल, नींबू, नारंगी, मुली, गन्ना आदि) सुप/थाली में सजाया जाता है। शाम के समय व्रतधारी अपने पूरे परिवार के साथ गंगा घाट जाती है।


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गंगा घाट जाते समय घर के सदस्य अपने सिर पर डाला (टोकरी) लेकर जाते हैं। जिसमें सभी प्रसाद रखें होते हैं। गंगा घाट पहुंचने के बाद डाला (टोकरी) को साफ स्थान पर रखा जाता है तथा उससे सभी फलों को निकाल कर अलग-अलग सुप/थाली में सजाया जाता है। जिसके बाद व्रतधारी गंगा स्नान कर अपने हाथ में सुप/थाली लेते हैं।  घर के प्रत्येक सदस्य सूप/थाली के सामने डुबते सूर्य अर्घ्य देकर भगवान सूर्य की आराधना करते हैं। अर्घ्य देने के बाद पुनः फलों को टोकरी में इकट्ठा कर घर लेकर आते हैं।

कार्तिक शुक्ल सप्तमी

कार्तिक शुक्ल सप्तमी, छठ महापर्व का आखिरी दिन है, इस दिन को "निस्तार" के रूप में जाना जाता है। इस दिन व्रतधारी आधी रात से ही गंगा घाट जाने की तैयारी शुरू कर देते हैं। इस दिन व्रतधारी पुनः ठेकुआ (खबौनी), चौरठ का लड्डू बनाते हैं तथा ताज़े फलों को फिर से डाला (टोकरी) में रखते है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है इसी कारण व्रतधारी, घर के सभी सदस्यों के साथ सूर्य उदय होने से पहले ही गंगा घाट पहुंचती है। तथा उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य की उपासना करती हैं। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन होता है। जिसके बाद व्रतधारी प्रसाद ग्रहण कर अन्य सदस्यों को प्रसाद बांटती है। तथा सभी सदस्य खुशीपूर्वक घर आ जाते हैं।


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छठ महापर्व कहां - कहां मनाया जाता है?

वर्तमान समय में छठ महापर्व पर्व बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश सहित भारत के कई अलग-अलग राज्यों में धूमधाम और हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है। छठ महापर्व मुख्य रूप से बिहावासियों का मुख्य त्योहार है। इसी कारण पूरी दुनिया में जहां भी बिहार के लोग रहते हैं। वो इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। इसके अलावे पिछले कई वर्षों से इंटरनेट पर दूनिया के अलग-अलग देशों में विदेशी लोग भी छठ महापर्व को उत्साहपूर्वक मनाते हुए नज़र आ रहें हैं। 

छठ महापर्व की विशेषता - छठ पूजा की विशेषता क्या है? - Chhath Puja Ki Visheshta Kya Hai

छठ महापर्व अपने कई विशेषताओं के कारण पूरे विश्व में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। छठ मईया में आस्था रखने वाले लोग छठ मईया से जो भी मन्नत मांगते है। छठ मईया उसकी मनोकामना पूरी करती हैं। इस महापर्व में विशेष रूप से संतान प्राप्ति, नौकरी, व्यवसाय, दुःख, संकट से निवारण जैसी मन्नतें मांगी जाती है। जो भक्त पूरी श्रद्धा के साथ छठ मईया से मनोकामना मांगते हैं। उसकी मनोकामना पूरी हो जाती हैं।


आपको हमारा यह विशेष लेख कैसा लगा, हमें कमेंट में बताएं। छठ महापर्व के बारे में अपने दोस्तों के साथ इस जानकारी को शेयर जरुर करे। alert-info
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  1. this lekh is so interesting and full of knowledge about chhath puja.

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    1. आपका धन्यवाद्! इसी तरह की लेख पढ़ने तथा हमें सपोर्ट करने के लिए Howtosawal.com visit करते रहें। 🙏🙏

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