RBI has increased the repo rate, what will be its effect on your life and economy, let us know through this article
रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या है? इसके बढ़ने या घटने से हम पर क्या असर होगा।
नेहा सिंह, नई दिल्ली :
हाल ही में आरबीआई ने मौद्रिक नीति के तहत रेपो रेट में 0.35% फीसदी की बढ़ोतरी (RBI increased repo rate) की है। इसी के साथ रेपो रेट बढ़कर 6.25 फीसदी पर आ गया है। मौद्रिक नीति समिति के 6 सदस्यों में से 5 ने बहुमत से रेपो रेट को बढ़ाने का पक्ष लिया। आरबीआई ने चालू वित्तीय वर्ष में लगातार पांचवी बार ब्याज दरों मे इजाफा किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि रेपो रेट क्या है? और आरबीआई इसमें इतनी जल्दी जल्दी वृद्धि क्यों कर रहा है? इसका आम जनमानस के जीवन पर क्या असर होगा?
रेपो रेट क्या है? What is repo rate?
रेपो रेट का साधारण सा अर्थ यह है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जिस दर पर कॉमर्शियल बैंकों को लोन देती है। वह दर रेपो रेट कहलाता है। बाद में कॉमर्शियल बैंक इसी दर के हिसाब से अपने ग्राहकों से ब्याज लेती हैरेपो रेट यदि कम हो तो होम लोन और व्हीकल लोन सस्ता होता है। मतलब रेपो रेट कम हो तो आम आदमी को राहत मिलती है, वहीं रेपो रेट में इजाफा होने से आम आदमी की जेब ढ़ीली होती है। अब जब हम रेपो रेट के बारे में जान ही गए हैं तो रिवर्स रेपो के बारे में भी थोड़ी जानकारी ले लेते हैं.
रिवर्स रेपो रेट क्या है? What is reverse repo rate?
जैसा कि नाम में ही लिखा है रिवर्स रेपो रेट, मतलब रेपो रेट के एकदम अपोजिट। आसान शब्दों में समझा जाए तो 'रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर कॉमर्शियल बैंक रिजर्व बैंक को पैसा उधार देती है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बाजार में कैश (नगदी) कंट्रोल करने के लिए रिवर्स रेपो रेट में इजाफा कर देता है ताकि कॉमर्शियल बैंक ज्यादा ब्याज पाने के लिए अपनी रकम रिजर्व बैंक में जमा करवा दें। रिवर्स रेपो रेट घटने पर मुद्रा की आपूर्ति बढ़ जाती है। उम्मीद है आपको रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में अंतर पता चल गया होगा। चलिए अब जानते हैं आरबीआई रेपो रेट में बढ़ोत्तरी क्यों करता है?
आरबीआई रेपो रेट में बढ़ोतरी क्यों कर रहा है? Why is RBI increasing repo rate?
पिछले कुछ समय से या चालू वित्तीय वर्ष से ही भारत में मुद्रास्फीति (महंगाई) देखने को मिल रही है। सितम्बर में महंगाई दर 7.4 फीसदी थी। जो अक्टूबर में थोड़ा कम होकर 6.7 फीसदी रही। ऐसे में आरबीआई रेपो रेट बढ़ाकर महंगाई दर को कम करने की कोशिश करता है।
आरबीआई एक्ट 1934 (45 ZA) के अनुसार महंगाई की दर 4% तक करना अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन आरबीआई को थोड़ी रियायत देते हुए +2/-2 का टॉलरेंस बैंड दिया गया है। यानी महंगाई दर कुछ महीनों के लिए 2% या 6% तक हो सकता है। लेकिन लम्बे समय तक महंगाई दर का बहुत कम या ज्यादा होना अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर डालता है।
रेपो रेट बढ़ने से आम जनजीवन पर असर? (How Increase in repo rate affects common life?)
आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने से बैंक लोन महंगा हो जाता है। यानी होम लोन, कार लोन और अन्य लोन पर EMI ज्यादा देना पड़ता है। इस कारण लोग लोन लेने में हिचकिचाते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर हॉउसिंग सेक्टर और ऑटोमोबाईल सेक्टर पर पड़ता है। रेपो रेट के सकारात्मक प्रभाव की बात करें तो बैंक में जमा पैसे पर इंटरेस्ट रेट ज्यादा मिलने लगता है। जिस कारण से लोग बचत करने के लिए प्रोत्साहित होते है.
रेपो रेट बढ़ाने से महंगाई कैसे कम होगी? (How will increasing the repo rate reduce inflation?)
रेपो रेट बढ़ने से बैंक लोन महंगे होते हैं। जिस वजह से लोग लोन कम लेते है यानी उनके पास कैश (लाईबलिटि) कम होता है। जिसके कारण बाजार मे तरलता कम हो जाती है। मुद्रा में तरलता कम होने से लोग खरीदारी कम करते है। फिर कम खरीदारी से मांग कम होती है और वस्तुओं की कीमतें गिर जाती है।
Conclusion:
आरबीआई चालू वित्तीय वर्ष में लगातार पांचवी बार ब्याज दरों मे इजाफा कर चुका है। लेकिन फिर भी मुद्रास्फीति 6% के पार है। इसके साथ ही आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि की दर 7% से घटाकर 6.8% रहने की घोषणा की है। ऐसे में महंगाई दर और आर्थिक वृद्धि दर में संतुलन बनाना आरबीआई के लिए एक चुनौती है।
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