निबंध - यदि मैं मुख्यमंत्री होता
किसी भी प्रदेश का मुख्यमंत्री होना अपने आप में एक गौरवशाली उपलब्धि है। मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की जनता आपसे अनेक आशाएं एवं अपेक्षाएं रखती है, जो उनके भविष्य से जुड़ी होती है। जनता अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री से सिर्फ यही चाहती है कि, उनके द्वारा चुने गए प्रतिनिधि अपने व्यक्तित्व से प्रदेश की सभी समस्याओं से जनता को छुटकारा दिला दें और सबके लिए रोजी-रोटी एवं मूलभुत सुविधाएं व्यवस्थित कर दें तथा वैसा काम करें जो प्रदेश के सभी जनता के हित में हो।
मैं यह भली-भांति जानता और समझता हूं कि आज के लोकतांत्रिक युग में मुख्यमंत्री अपनी इच्छा से नहीं बना जा सकता क्योंकि राज्यपाल विधानसभा में बहुमत प्राप्त करने वाले दल के नेता को ही मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाता है। और फिर मुख्यमंत्री की सिफारिश पर विभिन्न मंत्रियों को शपथ दिलाई जाती है। अतः यह मेरे लिए सिर्फ कल्पना की बात है, कि मैं बिहार का मुख्यमंत्री होता तो क्या करता? परंतु इस बहाने कम से कम मुझे यह सोचने का अवसर तो मिल रहा है कि हमारी जनता को मुख्यमंत्री से क्या अपेक्षाएं हैं।
किसी भी प्रदेश में मुख्यमंत्री का पद एक विशिष्ट भूमिका निभाता है। प्रदेश की विकास एवं व्यवस्थाओं का श्रेय भी मुख्यमंत्री को जाता है, क्योंकि वे नीतिगत निर्णय मंत्रिमंडल के सहयोग से लेते हैं और प्रदेश की सरकारी मशीनरी इन निर्णयों पर अमल करती है। यदि मैं मुख्यमंत्री होता तो मैं सर्वाधिक ध्यान कानूनी व्यवस्था पर देता क्योंकि जनता यही चाहती है कि पूरे प्रदेश में भयमुक्त शासन हो। गुंडे, बदमाशों, लुटेरों तथा दबंगों पर यदि कुछ अंकुश लगा दिया जाए तो जनता राहत अनुभव कर चैन की नींद सो सकेगी। मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता कानूनी व्यवस्था को स्थापित करने की होती, इसी के साथ-साथ बिजली, सड़कें तथा जल की बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में कोई कसर ना रखता।
प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं जनकल्याण की सुविधाओं पर मेरा पूरा ध्यान केंद्रित होता। भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए भरपूर प्रयास करता। मैं अपने जनता के लिए कठोर परिश्रम तथा दृढ़ता से दिन-रात सेवा करता। प्रदेश के युवाओं के लिए अच्छी रोजगार की व्यवस्था करता ताकि वे अपने जीवन में एक अच्छे मुकाम हासिल कर पातें। प्रदेश में उद्योग एवं धंधों को बढ़ाने के लिए विदेशी तथा देसी पूंजीपतियों को आवश्यक सुविधाएं देकर मैं प्रदेश में उद्योग धंधे को स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करता। ताकि लोगों को रोजी रोटी कमाने के लिए दूसरे शहरों एवं राज्यों में पलायन ना करना पड़ता।
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प्राथमिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर अपना ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ सप्ताह में 2 दिन सभी जिला अधिकारियों को जनता दरबार लगाने का फरमान जारी करता। जिससे आम जनता की शिकायतों का तुरंत ही निस्तारण किया जा सकता। मेरा हमेशा यह प्रयास रहता कि मैं जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरूंगा और ऐसी व्यवस्था बना दूं। जिससे जनता खुशहाल हो सके। यह सब मेरी कल्पना है और मैं यह भली-भांति जानता हूं कि मुख्यमंत्री पद हासिल करना किसी बच्चों का काम नहीं है।
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तो अभी - अभी आपने ' निबंध - यदि मैं मुख्यमंत्री होता ' पढा इसमें मैंने अपने विचारों को प्रकट किया है कि यदि मैं मुख्यमंत्री होता तो अपने प्रदेश तथा प्रदेश में रहने वाले समस्त जनताओं के लिए क्या करता।
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