बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (300+ शब्द) - Essay On Unemployment In Hindi

वर्तमान समय में बेरोजगारी पूरे देश की जटिल समस्याओं में से एक है। जिनमें देश के युवाओं को चिंता में डाल रखा है कि उनका आने वाला भविष्य कैसा होगा। बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए इस भी सरकार काफी प्रयत्न कर रही है लेकिन इसका कुछ खासा असर देखने को नहीं मिल रहा है। कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के द्वारा रोजगार प्राप्त हो रहे हैं। फिर भी देश कि युवाओं की एक बड़ी संख्या बेरोजगारी की समस्या से परेशान है, तथा इनके समाधान की उपाय ढूंढ रही है।

इसलिए आज के इस लेख में हमने कक्षा 1 से 9 तक के विद्यार्थियों के लिए " बेरोजगारी की समस्या या बेकारी की समस्या पर पर संक्षिप्त निबंध लिखने का प्रयास किया है।

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | बेकरी की समस्या पर निबंध। भारत में बेरोजगारी पर निबंध | भारत में बेरोजगारी के समाधान।


प्रस्तावना : वर्तमान समय में बेरोजगारी या बेकारी की समस्या हमारे देश की एक प्रमुख समस्याओं में से एक है। जो दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान समय के पढ़े लिखे शिक्षित युवा भी बेरोजगारी की समस्या से परेशान हैं। वे लोग जो अपने परंपरागत एवं जातीय व्यवसाय से जुड़े हुए थे। वे लोग अपने व्यवसाय को छोड़कर सरकारी नौकरियों की तलाश में दौड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच कितने व्यक्तियों को नौकरियां प्राप्त हो सकती है जबकि इन सरकारी नौकरियों के स्थान सीमित हैं।


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बेरोजगारी का अर्थ : बेरोजगारी या बेकारी उस स्थिति को कहते हैं, जब कोई योग्य या शिक्षित व्यक्ति जो अपनी जीविका चलाने के लिए काम करने के लिए इच्छुक होते हुए भी मजदूरी की दरों पर कार्य मांगता हो फिर भी कार्य ना मिल रहा हो, तो इस स्थिति को बेरोजगारी की श्रेणी में रखा जाता है। बेरोजगारी की परिभाषा के अंतर्गत बालक वर्ग, वृद्ध, रोगी, अक्षम एवं अपंग व्यक्तियों को बेरोजगारी की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।

बेरोजगारी - एक प्रमुख समस्या : भारत की आर्थिक समस्याओं में बेरोजगारी ने अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है तथा एक समस्या बनकर पूरे देश के युवाओं के सामने बनकर सामने आ रही है। यह एक ऐसी घातक समस्या है। जिसके कारण मानव शक्ति का ही नहीं बल्कि पूरे देश की आर्थिक ढांचे को अनियंत्रित रूप से बदल रही है। बेरोजगारी के कारण अन्य समस्याओं का भी जन्म होता है।

बेरोजगारी - एक अभिशाप : बेरोजगारी देश एवं पूरे मानव समाज के लिए अभिशाप है। यह अनेक ऐसे समस्याओं को जन्म देती है, जिसका असर समाज में रह रहे लोगों पर मुख्य रूप से पड़ता है। बेरोजगारी से निर्धनता, भुखमरी तथा मानसिक अशांति फैलती है। जो समाज के युवा वर्ग में आक्रोश एवं अनुशासनहीनता फैलाती है। बेरोजगारी समाज में एक विश्व की तरह है जो देश के आर्थिक सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन को दूषित कर रहा है। बेरोजगारी के कारणों की खोज करके उसका निवारण आवश्यक है।

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बेरोजगारी के कारण : वर्तमान समय में देश में मौजूद बेरोजगारी कई कारणों पर निर्भर करती है। जिनमें प्रमुख कारण निम्नलिखित है।


जनसंख्या में वृद्धि : वर्तमान समय में हमारे देश की जनसंख्या लगभग 131 करोड़ से भी अधिक है तथा यह तीव्र गति से बढ़ रही है। आंकड़ों के मुताबिक देश में प्रतिवर्ष लगभग 2.5% की जनसंख्या वृद्धि हो रही है। बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार में भी कमी उत्पन्न हो रही है जिनसे लोग बेरोजगार हो रहे हैं।

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शिक्षा प्रणाली : हमारे देश की शिक्षा प्रणाली त्रुटिपूर्ण है यह रोजगार प्रदान करने वाले नहीं बल्कि सिर्फ किताबों तक सीमित रहने वाली शिक्षा प्रणाली है। इसमें पुस्तक किए ज्ञान तो भरपूर है लेकिन व्यवहारिक ज्ञान सोने के बराबर है। हमारे शिक्षा प्रणाली में रोजगार प्राप्ति के लिए उपयोगी व्यवहार एवं ज्ञान की कमी है। जिस कारण रोजगार प्राप्ति में युवाओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

कुटीर उद्योग की उपेक्षा : हमारे देश में कुटीर उद्योगों के विकास एवं उत्थान की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके फलस्वरूप अनेक कारीगर बेकार एवं बेरोजगार हो रहे हैं। अतः बेरोजगारी में निरंतर वृद्धि हो रही है।

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औद्योगिकीकरण की सुस्त प्रक्रिया : पंचवर्षीय योजना में देश के औद्योगिककरण के लिए प्रशंसनीय कदम उठाए गए हैं। फिर भी समुचित रूप से इसका विकास नहीं हो सका है। अतः रोजगार बेरोजगार युवाओं के लिए वांछित मात्रा में रोजगार नहीं जुटाए जा सकते हैं। हालांकि वर्तमान समय में औद्योगिकीकरण में गति आई है जिनसे काफी युवाओं को रोजगार मिला है।


कृषि का पिछड़ापन : हमारे देश में लगभग 70% से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर करते हैं। ऐसे में कृषि से संबंधित उपकरण जो कृषि कार्य में सहायक होते हैं। आधुनिक उपकरणों की कमी किसानों को काफी कठिनाइयां होती है। इस स्थिति में कृषि से जुड़े व्यक्ति भी अपना काम छोड़कर किसी अन्य काम की तलाश में भटकते रहते हैं। जिनसे बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न होती है।

प्रशिक्षित एवं कुशल व्यक्तियों की कमी : हमारे देश में कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों का अभाव है। उद्योगों के सुचारू रूप से संचालन के लिए विदेशों से प्रशिक्षित कर्मचारी बुलाने पढ़ते हैं, यही कारण है कि देश में कुशल एवं कम प्रशिक्षित व्यक्ति बेरोजगार रह जाते हैं।

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बेरोजगारी की समस्या का समाधान : बेरोजगारी की समस्या का समाधान निम्नलिखित उपायों के द्वारा किया जा सकता है -- (क) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण, (ख) शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार, (ग) कुटीर उद्योगों के विकास द्वारा, (घ) औद्योगिक विकास के द्वारा (च) सहायक उद्योगों के विकास के द्वारा, (छ) सामाजिक असमानताएं एवं ढांचा में परिवर्तन के द्वारा, (ज) रोजगार कार्यालयों का विस्तार के द्वारा, (झ) प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग द्वारा, आदि।

उपसंहार : वर्तमान समय में देश की सरकार बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए प्रयत्नशील है और इस समस्या के समाधान हेतु अनेक दिशाओं में कदम उठा रही है। वर्तमान समय में सरकार द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं के अंतर्गत युवाओं को रोजगार दिया जा रहा है।

7 टिप्पणियाँ

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  1. उत्तर
    1. प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद! अब हम छोटे बच्चों के लिए एक अलग पैराग्राफ में शॉर्ट नोट्स तैयार कर दिया करेंगे। वैसे यह निबंध आठवीं, नवी और दसवीं कक्षा के छात्रों को ध्यान में रख कर लिखा गया था। 🤝🤝

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  2. बहुत अच्छा और सरल निबंध है।

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  3. You have shared very useful information through essay on uunemployment .Thank you

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