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छात्र और अनुशासन पर निबंध (300 शब्द) | Essay on Student And Discipline in Hindi

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निबंध - छात्र और अनुशासन

"300 शब्दों में छात्र और अनुशासन पर निबंध लिखें" Essay On Discipline In Hindi

प्रस्तावना - किसी भी राष्ट्र का निर्माण अनुशासन के माध्यम से ही संभव है। इसीलिए प्राचीन काल से ही अनुशासन को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। पूर्व समय में राजा महाराजा अपने बच्चों को गुरुकुल शिक्षा दिलाने के लिए गुरुओं के आश्रम में इसलिए भेजते थे ताकि उनके बच्चे अनुशासन में रहकर एक अच्छे चरित्रवान व्यक्ति बने तथा कठोर परिश्रम कर सकें। विद्यार्थियों के शारीरिक एवं नैतिक विकास के लिए आश्रम के गुरुओं ने कठोर नियम बनाया करते थे, ताकि उनके विद्यार्थी हमेशा अनुशासित रहे। विचारों के परिवर्तन एवं समाज के विकास के साथ-साथ इस पद्धति में भारी परिवर्तन हुआ और अब डर भय के स्थान पर प्रेम और सहानुभूति पूर्वक अनुशासन की शिक्षा दी जाने लगी।


इन्हें भी पढ़ें :


अनुशासन की परिभाषा एवं अर्थ - अनुशासन का अर्थ है सामाजिक एवं व्यक्तिगत स्तर पर बड़ों के आदेश का अनुसरण करना। लेकिन पूर्व समय में शक्ति और भय के कारण दिए गए नियंत्रण को अनुशासन समझा जाता था।



पाश्चात्य विद्वान 'प्लेटो' का मानना था : 
" Discipline must be based on love and controlled by love " अर्थात अनुशासन प्रेम पर टिका होता है और प्रेम से ही नियंत्रित होना चाहिए।


अनुशासन का महत्व - अनुशासन हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, तथा हमारे जीवन में अनुशासन का महत्व बहुत अधिक है। क्योंकि इनके अभाव से प्रकृति प्रदत क्षमताओं का विकास व्यक्ति में रुक जाता है। सूर्य, चंद्रमा एवं संपूर्ण नक्षत्रमंडल एक अनुशासन में ही बंधे हैं। यदि यह अपने अनुशासन को छोड़ दें, तो प्रलय हो जाए। जिस तरह पूरा ब्रह्मांड अपने अनुशासन में बंधे हैं ठीक उसी तरह पृथ्वी पर पूरा जीवन चक्र अनुशासन में बंधा है, पृथ्वी पर मौसम, वर्षा, गर्मी एवं शरद यह सभी अपने-अपने अनुशासन में बंधे हैं। इसीलिए हमें सही समय पर मौसम परिवर्तन देखने को मिलते हैं, जो पृथ्वी पर मानव जीवन के लिए उपयोगी है। जजब प्रकृति ने अनुशासन तोड़ा है तो भूकंप, सूखा, महामारी जैसे प्रकोप मानव जीवन को झेलने पड़े हैं। इसलिए हमारे समाज को भी एक निश्चित अनुशासन में रहकर प्रत्येक कार्य को समय पर करेंकरना चाहिए। जिससे देश के विकास चक्र में कोई रुकावट उत्पन्न ना हो।


इन्हें भी पढ़ें :


अनुशासनहीनता के कारण - अनुशासनहीनता के अनेक कारण हो सकते हैं - (क) दोषपूर्ण वर्तमान शिक्षा प्रणाली, (ख) शिक्षकों का पतन, (ग) शिक्षा का व्यवसायिक ना होना, (घ) विद्यालयों में अनैतिक कार्य, (च) शिक्षकों द्वारा विद्यालय में ध्यान ना देना, (छ) धार्मिक एवं नैतिक शिक्षाओं का अभाव, आदि।



अनुशासनहीनता को दूर करने के उपाय - अनुशासनहीनता को दूर करने के कई उपाय हैं - (क) शिक्षा प्रणाली में गुणात्मक विकास, (ख) परीक्षा प्रणाली में सुधार, (ग) शिक्षा - व्यवस्था में सुधार, (घ) विद्यालय में शिक्षकों के आचरण में सुधार, (च) धार्मिक एवं नैतिक शिक्षाओं की व्यवस्था, (छ) सृजनात्मक क्रियाएं, आदि उपायों से अनुशासनहीनता को दूर किया जा सकता है।


उपसंहार - जिस देश के नागरिक अनुशासित होंगे वह देश निश्चित रूप से प्रगतिशील होगा। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हमारे देश की केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार हैं। अनुशासनहीनता जैसे प्रमुख विषयों को लेकर काफी गंभीर है तथा इस समस्या का निराकरण करने के लिए प्रयत्नशील है। उदाहरण के रूप में जापान जैसे छोटे देश सन 1945 ईस्वी में एटम बॉम्ब से पूरी तरह बर्बाद हो गया था, लेकिन कुछ ही वर्षों में अपने अनुशासन के बल पर प्रगति कर संसार में एक विकसित देश के रूप में उभर कर सामने आया। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है की अनुशासन का मानव जीवन, एवं राष्ट्र जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है। ठीक इसी प्रकार अनुशासित होकर छात्र अपने जीवन का बेहतर विकास कर सकते हैं।

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  1. 7. छात्र एवं अनुशासन अथवा जीवन में अनुशासन का महत्त्व रूपरेखा— 1. अनुशासन का अभिप्राय , 2. अनुशासन का जीवन में महत्त्व , 3. अनुशासन से लाभ , 4. वर्तमान युग में अनुशासन , 5. अनुशासन के साधन , 6. अनुशासित राष्ट्र एवं व्यक्तियों के उदाहरण , 7. उपसंहार जीवन है । अनुशासन दो शब्दों अनु + शासन के मेल से बना जिसका अभिप्राय होता है - शासन के पीछे चलना या नियमानुसार कोई कार्य करना । अतः नियमों का पालन ही अनुशासन है । कहा भी जाता है कि अनुशासन ही मानव - जीवन में अनुशासन का महत्त्वपूर्ण स्थान है । सृष्टि के सम्पूर्ण क्रिया - कलापों में भी हमें इसी अनुशासन के दर्शन होते हैं । सूर्य एवं चन्द्र एक निश्चित समय में ही उगते एवं अस्त होते हैं । इसी प्रकार प्रकृति की अन्य शक्तियाँ अनुशासन में रहती हुई दिखाई देती हैं । जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें पग - पग पर इसका पालन करना चाहिए । जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसकी पहली आवश्यकता होती है । विद्यार्थी जीवन में बालक यदि अनुशासित नहीं है , तो वह न तो अपनी पढ़ाई ठीक प्रकार से पूरी कर पायेगा और न विद्यालय को सुचारु रूप से चलने देगा । सामाजिक जीवन में भी उसे प्रत्येक कदम पर अनुशासन का ही पालन करना पड़ता है । यही बात पारिवारिक जीवन में भी देखने को मिलती है । स्कूल हो या दफ्तर , व्यापार हो या कारखाना , सेना हो या पुलिस सभी में अनुशासन की नितान्त आवश्यकता पड़ती है । अनुशासन के बिना कोई कार्य सरलता से नहीं हो सकता है । सेना में तो अनुशासन के बिना कोई भी कार्य सरलता से नहीं हो सकता है ।

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  2. प्रस्तावना - किसी भी राष्ट्र का निर्माण अनुशासन के माध्यम से ही संभव है। इसीलिए प्राचीन काल से ही अनुशासन को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। पूर्व समय में राजा महाराजा अपने बच्चों को गुरुकुल शिक्षा दिलाने के लिए गुरुओं के आश्रम में इसलिए भेजते थे ताकि उनके बच्चे अनुशासन में रहकर एक अच्छे चरित्रवान व्यक्ति बने तथा कठोर परिश्रम कर सकें। विद्यार्थियों के शारीरिक एवं नैतिक विकास के लिए आश्रम के गुरुओं ने कठोर नियम बनाया करते थे, ताकि उनके विद्यार्थी हमेशा अनुशासित रहे। विचारों के परिवर्तन एवं समाज के विकास के साथ-साथ इस पद्धति में भारी परिवर्तन हुआ और अब डर भय के स्थान पर प्रेम और सहानुभूति पूर्वक अनुशासन की शिक्षा दी जाने लगी।अनुशासन की परिभाषा एवं अर्थ - अनुशासन का अर्थ है सामाजिक एवं व्यक्तिगत स्तर पर बड़ों के आदेश का अनुसरण करना। लेकिन पूर्व समय में शक्ति और भय के कारण दिए गए नियंत्रण को अनुशासन समझा जाता था।
    पाश्चात्य विद्वान 'प्लेटो' का मानना था :
    " Discipline must be based on love and controlled by love " अर्थात अनुशासन प्रेम पर टिका होता है और प्रेम से ही नियंत्रित होना चाहिए।
    अनुशासन का महत्व - अनुशासन हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, तथा हमारे जीवन में अनुशासन का महत्व बहुत अधिक है। क्योंकि इनके अभाव से प्रकृति प्रदत क्षमताओं का विकास व्यक्ति में रुक जाता है। सूर्य, चंद्रमा एवं संपूर्ण नक्षत्रमंडल एक अनुशासन में ही बंधे हैं। यदि यह अपने अनुशासन को छोड़ दें, तो प्रलय हो जाए। जिस तरह पूरा ब्रह्मांड अपने अनुशासन में बंधे हैं ठीक उसी तरह पृथ्वी पर पूरा जीवन चक्र अनुशासन में बंधा है, पृथ्वी पर मौसम, वर्षा, गर्मी एवं शरद यह सभी अपने-अपने अनुशासन में बंधे हैं। इसीलिए हमें सही समय पर मौसम परिवर्तन देखने को मिलते हैं, जो पृथ्वी पर मानव जीवन के लिए उपयोगी है। जजब प्रकृति ने अनुशासन तोड़ा है तो भूकंप, सूखा, महामारी जैसे प्रकोप मानव जीवन को झेलने पड़े हैं। इसलिए हमारे समाज को भी एक निश्चित अनुशासन में रहकर प्रत्येक कार्य को समय पर करेंकरना चाहिए। जिससे देश के विकास चक्र में कोई रुकावट उत्पन्न ना हो।अनुशासनहीनता के कारण - अनुशासनहीनता के अनेक कारण हो सकते हैं - (क) दोषपूर्ण वर्तमान शिक्षा प्रणाली, (ख) शिक्षकों का पतन, (ग) शिक्षा का व्यवसायिक ना होना, (घ) विद्यालयों में अनैतिक कार्य, (च) शिक्षकों द्वारा विद्यालय में ध्यान ना देना, (छ) धार्मिक एवं नैतिक शिक्षाओं का अभाव, आदि।
    अनुशासनहीनता को दूर करने के उपाय - अनुशासनहीनता को दूर करने के कई उपाय हैं - (क) शिक्षा प्रणाली में गुणात्मक विकास, (ख) परीक्षा प्रणाली में सुधार, (ग) शिक्षा - व्यवस्था में सुधार, (घ) विद्यालय में शिक्षकों के आचरण में सुधार, (च) धार्मिक एवं नैतिक शिक्षाओं की व्यवस्था, (छ) सृजनात्मक क्रियाएं, आदि उपायों से अनुशासनहीनता को दूर किया जा सकता है।
    उपसंहार - जिस देश के नागरिक अनुशासित होंगे वह देश निश्चित रूप से प्रगतिशील होगा। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हमारे देश की केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार हैं। अनुशासनहीनता जैसे प्रमुख विषयों को लेकर काफी गंभीर है तथा इस समस्या का निराकरण करने के लिए प्रयत्नशील है। उदाहरण के रूप में जापान जैसे छोटे देश सन 1945 ईस्वी में एटम बॉम्ब से पूरी तरह बर्बाद हो गया था, लेकिन कुछ ही वर्षों में अपने अनुशासन के बल पर प्रगति कर संसार में एक विकसित देश के रूप में उभर कर सामने आया। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है की अनुशासन का मानव जीवन, एवं राष्ट्र जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है। ठीक इसी प्रकार अनुशासित होकर छात्र अपने जीवन का बेहतर विकास कर सकते हैं।

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